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गुरु पूर्णिमा: भारत में महत्व और मनाने का तरीका | समर्पित गुरुशिष्य परंपरा का महत्व!

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नई दिल्ली, 3 जुलाई 2023: गुरु पूर्णिमा का पर्व वर्ष भर में प्रतिष्ठित होने वाला है, जब शिष्य अपने गुरु के प्रति आभार व्यक्त करता है और उनके द्वारा दिए गए ज्ञान और मार्गदर्शन का सम्मान करता है। गुरु पूर्णिमा भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण और पवित्र त्योहार है जो गुरुशिष्य परंपरा को समर्पित है।

गुरु शब्द संस्कृत शब्द “गु” और “रु” से मिलकर बना है, जिसका अर्थ होता है “अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाला”। हमारे जीवन में गुरु का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि वे हमें अच्छाई के मार्ग पर चलना सिखाते हैं और हमें सही राह दिखाते हैं। गुरु पूर्णिमा के दिन गुरुओं को धन्यवाद दिया जाता है और उनकी पूजा-अर्चना की जाती है।

भारतीय संस्कृति में गुरु को ईश्वर का अवतार माना जाता है। गुरु पूर्णिमा का महत्व गीता में भी उल्लेखित है, जहां भगवान कृष्ण ने अपने शिष्य अर्जुन को ज्ञान देने के लिए अपने गुरुओं की महत्ता बताई थी। गुरु पूर्णिमा के दिन भारतीय जनता अपने गुरुओं का आभार व्यक्त करती है और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करती है।

गुरु पूर्णिमा का उत्सव पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन लोग मंदिरों और आश्रमों में जाकर अपने गुरुओं की पूजा-अर्चना करते हैं। संत-महात्माओं के आश्रमों में भक्तजन अपने आदर्श गुरुओं से सम्बंधित कथाएं सुनते हैं और धार्मिक भजनों का आनंद लेते हैं। इसके अलावा, विभिन्न शिक्षा संस्थानों और कला संस्थानों में गुरु पूर्णिमा के अवसर पर कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जहां छात्र अपने गुरुओं का आभार व्यक्त करते हैं।

गुरु पूर्णिमा के दिन लोग अपने गुरुओं के सामर्थ्य और आदर्शों का सम्मान करते हैं। वे उनकी सेवा करते हैं, उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं और उनसे ज्ञान प्राप्त करने का संकल्प लेते हैं। इस दिन लोग गुरु-शिष्य परंपरा के महत्व को याद करते हैं और ज्ञान की महत्ता को समझते हैं।

इस साल, कोविड-19 महामारी के कारण गुरु पूर्णिमा का उत्सव संकटमोचन हनुमान मंदिर, वाराणसी जैसे प्रमुख स्थानों पर अधिक धूमधाम से नहीं मनाया जाएगा। लोगों को सुरक्षित रहने के लिए सरकार ने आदेश जारी किए हैं और लोगों से घर पर ही पूजा आदि कार्यक्रमों को आयोजित करने की सलाह दी है। लोग इस अवसर पर अपने गुरुओं को ध्यान में रखते हुए उनकी कृतियों का पाठ कर सकते हैं और उनसे जुड़े आदर्शों को अपने जीवन में अपना सकते हैं।

गुरु पूर्णिमा भारतीय संस्कृति का महत्त्वपूर्ण और गर्व का विषय है। यह हमें अपने गुरुओं की महिमा और ज्ञान की महत्ता को याद दिलाता है। इस अवसर पर हमें गुरुओं का आभार व्यक्त करना चाहिए और उनकी शिक्षा और मार्गदर्शन को मान्यता देनी चाहिए। इस दिन को ध्यान और आदर्शों के साथ मनाने से हमारा जीवन सफलता और आनंद से पूर्ण हो सकता है।

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