हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 17 सितंबर 2023, रविवार को सुबह 11 बजकर 8 मिनट पर शुरू होगी और इसका समापन 18 सितंबर 2023, सोमवार को दोपहर 12 बजकर 39 मिनट पर होगा. उदयातिथि के अनुसार हरतालिका तीज का व्रत इस साल 18 सितंबर को रखा जाएगा. तीज व्रत को हरतालिका तीज के नाम से भी जाना जाता है। इस व्रत मे पत्नी अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती है।इस व्रत को सबसे पहले माता पार्वति ने अपने पति के लिए राखी थी। हरियाली तीज में सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं। हरियाली तीज के दिन लोकगीत गाने की प्रथा काफी पुरानी है। इस दिन महिलाएं और लड़कियां लोकगीत गाकर पूरे वातावरण को सकारात्मक करती हैं।
पहला लोकगीत: झुला झूल रही सब सखियाँ
1- झुला झूल रही सब सखियाँ, आई हरयाली तीज आज,
राधा संग में झूलें कान्हा झूमें अब तो सारा बाग़,
झुला झूल रही सब सखियाँ, आई हरयाली तीज आज,
नैन भर के रस का प्याला देखे श्यामा को नदं लाला,
घन बरसे उमड़ उमड़ के देखों नृत्य करे बृज बाला,
छमछम करती ये पायलियाँ खोले मन के सारे राज,
झुला झूल रही सब सखियाँ, आई हरयाली तीज आज,
2- अम्मा मेरी रंग भरा जी, ए जी कोई आई हैं हरियाली तीज।
घर-घर झूला झूलें कामिनी जी, बन बन मोर पपीहा बोलता जी।
एजी कोई गावत गीत मल्हार,सावन आया…
कोयल कूकत अम्बुआ की डार पें जी, बादल गरजे, चमके बिजली जी।
एजी कोई उठी है घटा घनघोर, थर-थर हिवड़ा अम्मा मेरी कांपता जी।
3- नांनी नांनी बूंदियां हे सावन का मेरा झूलणा,
एक झूला डाला मैंने बाबल के राज में,
बाबुल के राज में…
संग की सहेली हे सावन का मेरा झूलणा,
नांनी नांनी बूंदियां हे सावन का मेरा झूलणा.
ए झूला डाला मैंने भैया के राज में,
भैया के राज में…
गोद भतीजा हे सावन का मेरा झूलणा,
नांनी नांनी बूंदियां हे सावन का मेरा झूलणा…
दूसरा लोकगीत: बघवा के छाला शिव जी
बघवा के छाला शिव जी सुतलन तो गउरा रानी पुछलन हो,
ये स्वामी ऐसन व्रत बतलाइती की पति के उमर बढय के सोलहो शृंगार बढय हो।
रतना वचनीयां जब सुनलन शिव महादेव बाबा हो,
ये बाबा गउरा के दिहलन बताई तो और समझाई दिहलन हो।
तिज के व्रत बड़ी पावन अति मनभावन हो,
ये गउरा निरजल व्रत नारी करीहे तो नारी के सुहाग बढय पति के उमर बढ़े हो ।
जेही रे कुवांरी बेटी करीहे सुन्दर साजन मिलीहे हो,
ये गउरा जन्म जन्म अहियात रहिये सेन्दुरा अमर रहिये हो ।
पूर्व जन्म में सुनहुँ गउरा तुहुँ बड़ी तप कइलू हो,
ये गउरा तब पावलू शिव ऐसन वरवा तो तीज के व्रत कइलू हो ।
हिमराज के घरवा जन्मलू वतो मैना रानी के कोखियानु हो,
ये गउरा निशदिन धरलू ध्यनमा तो करीके नमनमानु हो – – – – – – 2
मिट्टीया के शिवलिंग बनाई गउरा भंगिया धतुरा पूजत रहलू हो,
ये गउरा बेल के पतइया पर राम लिखी शिव के चढावत रहलू थ हो।
मैना रानी केतनों समझावत एको नही बात मानलू हो,
ये गउरा छोड़ दिहलू महल अटारी तो वन में बसेरा लिहलू हो।
छोड़ी दिहलू घर के मोजनमा तो मेवा मिठाई छोड़लू,
ये गउरा वनमा के फल खाई रहलू तो बड़ी रे जतन कइली हो।
जेठ वैशाख के गर्मियों में खुला आसमान रहलू हो,
ये गउरा वर्षा के पनियां में भिंगते रहलू हमरा के मनावतु रहलू हो ।
हिम के पहड़ीया पर बसत रहलू जप तप करइत रहलू थे।
ये गउरा भूत बैताल डेरावत रहले तब न डेराइलू हो।
ये गउरा कठीन तप बड़ी कइलू हमरा के मनावत रहलू हो ।
डोले लागले विषणु के आसन इन्द्र के इन्द्रासन हो,
ये गउरा डोले लागल शिव के असनमा तोहरी तपनमा से हो।
कठिन तपनमा के देखली अउरी प्रणयानु हो,
ये गउरा प्रकट भइली तोहरी समनमा तो गउरा रानी वर मांगय हो ।
नहीं चाही अन्न धन सोनमा त अरो खजनमांनु हो,
ये शिव जी हम करव रउआ से विवहवा त रउआ मोर स्वामी बनी हो।
तोहरी रूप देखी गउरा विष्णु जी मोहीत भइलन हो,
ये गउरा भेजी दिहलन नारद से चिट्ठीयां राजा हिमराज जी के हो ।
विष्णु के पाई के चिट्ठीया हिमराज हर्षित भइलन हो,
ये गउरा पूछिला तोहरो से रइया तोहरो के विचार जानलन हो ।
सिखा झुकाई गउरा बोलली बाबा से अरज कइली हो,
ये बाबा हम कर शिव से विवहवा नही तो मरी जाइव हो।
गउरा के सुनी के अरजीमा तो हिम बाबा मानी गइलन हो,
ये गउरा भेजदेलन ब्राह्ममण से नेवतवा शिव बरात लावहु हो।
तीसरा लोकगीत: सात सखीअन
सात सखीअन मिली तीज पूजे चलली है,
सोने के चबुतरा बनावले गे माई|
सेही रे चबुतरा चढी बैठेलन तीज माता
संगवा में भोले बाबा साथ गे माई ।
काहे लागी अजी माता मुखवा मलिन भइले,
काहे लागी छोड़ल नगरिया गे माई ।
नहीयों में अजी सबरे मुखवा मलिन भइले ,
नहीं हम छोड़ली नगरिया गे माई।
दिनरात घुमइत रहली भक्त के देखइत रहली,
दुखवा हम हरइत रहली, सुखवा हम देइत रहली ।
देइत देइत अइली एही नगरिया गे माई ।
तोहरों के देवो सांवरो सिर के सेन्दुरवा जी
चमकत दुनियो इंजोर गे माई |
स्वामी के देवो को संवरो रोजी रोजगरवा
जी बालका के देवो सुमति बुद्धिया गे माई |
तोहरो के देवो सांवरो कंचन देहिया जी
होइहे न मुखवा मलिन गे माई |
युग युग जिओ सांवरो गोदी के बलकवा जी
जनम युग बदय अहियात गे माई।